नजराना तय है - अनिरुद्ध कुमार

 
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कौन अमर हो आया जाना तय है,
सुखदुख के सरगम पे गाना तय है। 

मनभावन हर गीत सुनाते जावो,
नाहक हो भयभीत तराना तय है। 

जीवन गीत सुहाना दिल से गावो,
कौन करेगा याद भुलाना तय है। 

शाम सुबह का फेरा घबड़ाते क्यों,
चलना तुमको दूर ठिकाना तय है। 

ऊँचा नीचा रस्ता खंदक खाई,
जंगल झाड़ पहाड़ निशाना तय है। 

रंग बदलती दुनिया में अंजाने,
कौन यहाँ पर मीत भगाना तय है। 

'अनि' रहता तैयार हमेशा पथ में,
मालिक जो देगा नजराना तय है। 
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड
 

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