कवि और किन्नर (छंद) - जसवीर सिंह हलधर

 
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किन्नरों की जाति नहीं , बोलता हूं बात सही ,
लिंग भेद से परे हैं, लोग न लुगाई हैं ।

हिंदू या मुसलमान , देते किन्नरों को दान ,
ताली और गाली शुभ, कामना बधाई हैं ।।

मंच के कवि भी यार ,करते सभी से प्यार ,
तालियां दुहाई और , तालियां कमाई हैं ।

मात शारदा के पूत, वाणी के हैं मेघदूत ,
कांग्रेसी नहीं हम , नहीं भाजपाई हैं ।।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून
 

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