कुछ शेर मेरे - सविता सिंह

 
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*मुब्तिला* हूँ इसी गुज़ारिश में,
तुम भी आ जाओ ऐसी बारिश में।

अपनी तस्वीर सब दिखाते थे,
मैंने दिल रख दिया नुमाइश में।

सब है दिलबर के साथ-साथ मगर,
*मीरा* "कान्हा की है नवाज़िश में।
सविता सिंह मीरा. जमशेदपुर 
 

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