सीखा है बहुत कुछ - सुनील गुप्ता

 
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 ( 1 ) सीखा 
      है बहुत कुछ हमने,
      खोने के बाद यहाँ पे  !
      दर्द दिल में अपना छिपाए चले....,
      और मिलते रहे लोगों से, हँस-हँसके !!
( 2 ) है 
      बहुत कुछ बतलाने को,
      आपसे कहते, ये हुनर सीखने को  !
      भले लाख गम दफ़न सीने में हों....,
      चलें मुस्कुराते खिलाए, शुभानन को !!
( 3 ) बहुत 
      कुछ देखा भाला जाना,
      पाया घावों को खुरचते हुए  !
      यारों, दिखलाया न करो इन्हें तुम..,
      मूंद लिया करो आँखें, जरा इनसे !!
( 4 ) कुछ 
  दर्द दिल में छिपाए,
  मिलते हैं प्रेम सागर झलकाए !
  ये दुनिया दोस्तों, हँसने गाने वालों की है..,
  भला यहाँ कौन है जो दुःख, बाँटे-बंटाए !!
( 5 ) गम 
  के गहरे समुन्दर में,
  बस लगाए चल डुबकी प्यारे  !
  एक दिन मिल जाएंगे मोती गौहर...,
  जरा परखते चलें, जिंदगी को हौले-हौले !!
-  सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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