अंजाम है बाकी - अनिरुद्ध कुमार
Feb 26, 2025, 22:52 IST

सुबह की शाम है बाकी,
आखरी जाम है बाकी।
प्यार में लुट गयीं दुनिया,
मयकशी आम है बाकी।
दिलरुबा जान पे भारी,
ख्याल में नाम है बाकी।
चोट खा सोंचते रहतें,
दर्द का काम है बाकी।
बेकदर हो गये हम तो,
चैन आराम है बाकी।
जिंदगी खेल खेलेगी,
कौन पैगाम है बाकी।
हाल बेहाल'अनि' बैठा,
सोंच अंजाम है बाकी।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड