संसार हिंदी है - अनिरुद्ध कुमार
जुबां डोले, सदा बोले, मधुर झंकार हिंदी है।
सभी गाये रिझाये मन, लगे की प्यार हिंदी है।
खड़ी रहती, पलक खोले, बुलाती यार हिंदी है।
फिकर करती जमाने की, कलेजा पार हिंदी है।।
सदा दिल जोड़ने वाली, लगे बाहार हिंदी है।
लुभा जाते, जहाँ वाले, कहें रसधार हिंदी है।
कदर सबकी सदा करती, गले का हार हिंदी है।
सभी माने, सयानी ये, गुले गुलजार हिंदी है।।
दुश्मनी रास ना आये, गजब ललकार हिंदी है।
नजर सब पर सदा रखती, तुफानी मार हिंदी है।
नहीं डरती किसी से ये, कलेजा जार हिंदी है।
अगर उलझे दहक जाती, लगे अंगार हिंदी है।।
वतन पर ये फिदा रहती, निगाहें चार हिंदी है।
बहारें मस्त हो गायें, गजब फनकार हिंदी है।
सजा माथे धरा झूमें, मुहब्बत यार हिंदी है।
तिरंगा झूम लहराये, कहे संसार हिंदी है।।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड