शून्य सा कुछ है - ज्योत्सना जोशी

 
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कुछ छूटी हुई जगहों में 
रखे हुए पल ,
बीते हुए अहसास 
जाते हुए वक्त संग बंद मुट्ठी में 
सांसें समेटे  ,
एक एक गिरते हुए पात और
आते हुए कोंपल के इस मध्यांतर 
में कुम्हलाया हुआ मर्म भरकर 
 वो ठहरा हुआ हरापन 
शब्द शून्य सा कुछ है
- ज्योत्सना जोशी , देहरादून
 

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