श्रद्धांजलि (डा. मनमोहन सिंह) - जसवीर सिंह हलधर

 
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मौत अचानक मनमोहन की दृग में आँसूं लाई है।
याद आपकी जन गण मन में शोक गीत बन आई है।।
 
युगों युगों तक आप रहोगे भारत भू के कण कण में।
छवी आपकी सदा दिखेगी  गांव नगर के प्रांगण में ।
हृदय घात कलयुग का दानव इतना तो एहसास हुआ ।
मृत्यु सूचना मिलने पर भी तनिक नहीं विश्वास हुआ ।
बाल दिवस के इस मौके पर ले ली आज विदाई है ।।
मौत अचानक मनमोहन की दृग में आँसू लायी है ।।1

काल चक्र है सत्य सनातन सबको एक दिन जाना है ।
लेकिन समय पूर्व उठ जाना हम सब पर जुर्माना  है ।
भारत के उत्थान कर्म में वो अवतार  सरीखे थे ।
अर्थ तंत्र मजबूत किया गुरु की तलवार सरीखे थे ।
मिले स्वर्ग में जगह आपको कवि आज दुहाई है ।।
मौत अचानक मनमोहन  की दृग में आँसू लायी है ।।2

भाषण में संबोधन सबको ग्रंथ सरीखा लगता था ।
भाषा रूपी ज्ञान सभी को मंत्र सरीखा लगता था ।
दीन हीन की पीड़ा को वो अच्छी तरह समझते थे ।
हिन्दू मुस्लिम के आंगन में वो सम भाव बरसते थे ।
रो रो कर बेहोश लेखिनी अधिक नहीं लिख पाई है ।।
मौत अचानक मनमोहन की दृग में आँसू लाई है ।।3

शब्द शब्द  को जोड़े जैसे  फूल पिरोएं धागों में ।
वाणी में अमृत था उनके भाव लिप्त अनुरागों ।।
आदर्शों की शिखर पुरुष का लोहा भारत मानेगा ।
उनके अर्थ सुधारों को  बच्चा बच्चा पहचानेगा ।
अक्षर शोकाकुल 'हलधर' के पंक्ति पंक्ति घबराई है ।
मौत अचानक मनमोहन की दृग में आँसू लायी है ।।4
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून
 

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