हो देश का उत्थान - प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव

 
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गणतंत्र हो अमर सही जनतंत्र हो अमर, 
भारत की राजनीति में इसका बढ़े असर।  

जनतंत्र है जीवन की विधा सबसे पुरानी,
शासन समाज व्यक्ति की संयुक्त कहानी। 

औरों के सुख दुख का जो हर व्यक्ति को हो भान, 
तो जटिल समस्याओं के भी मिलें समाधान।

सब लोग चैन पा सकें हो स्वर्ग हर एक घर, 
हर दिन विकास कर सकें हर गाँव और नगर

है पूज्य यही नीति नियम , न्याय औ" सद्भाव,
स्वातंत्र्य बंधुता समानता नहीं दुराव।

साथी की भावनाओं का सब करें सम्मान,
कोई न हो टकराव कहीं , हठ हो न अभिमान।

जनतंत्र के सिद्धांत ने दुनियां को लुभाया, 
जग उसकी राह पर सही चल नहीं पाया ।

कर्तव्य औ" अधिकार का जो हो समान ध्यान, 
हर व्यक्ति का कल्याण हो , हो देश का उत्थान।
प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव"विदग्ध" (विभूति फीचर्स)
 

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