चले सफर से. - राजू उपाध्याय

 
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हमने 
तो बस ! प्यार 
लिखा था, 
दीवानों की 
बस्ती में..!
गाये 
हमने गीत 
मिलन के, 
झूम के अपनी 
हस्ती में..!

तुम 
चाहे अब पढ़ो 
मर्सिया, 
या यादों के 
फूल चढ़ाओ,,
चले 
सफर से हंसते 
गाते,
हम तो अपनी 
मस्ती में...!
- राजू उपाध्याय, एटा, उत्तर प्रदेश 
 

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