जलहरण घनाक्षरी - मधु शुक्ला
Mar 26, 2023, 23:24 IST

मन कहे वही कर, पर ध्यान बात धर,
जग सारा एक घर, हर कोई पाये सुख।
भेदभाव वाली बात, कीजिए कभी न तात,
मुरझा के नेह गात, करता पाताल रुख।
माता-पिता संत कवि, चंद्र तारे और रवि,
पालें उपकारी छवि, तभी प्रिय हैं ये मुख।
भावना समानता की, त्याग क्षमा ममता की,
जननी उदारता की, कभी नहीं देती दुख।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश