मिले थे हम दोनों ~ कविता बिष्ट

 
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हसीन वादियों में जब,
मिले थे हम दोनों ऐसे,
संदेशा तो भेजिये आज,
मौसम है इज़हार का....

दो दिल मिल गए हैं,
अब इंद्रधनुष के समान,
सब्र नहीं होता मुलाक़ात,
के लिये इंतजार का....

तुम्हें ख्वाबों में हम,
अक़्सर ही देखते हैं,
अब तोहफा चाहिए,
सनम से प्यार का .....

मोहब्बत में क्या सुनाए,
दिल-ए-दासतां मेरे यारा,
कैसे दिखाऊ दर्दे-ए दिल,
विरह में बेक़रार का.....
~कविता बिष्ट , देहरादून , उत्तराखंड 
 

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