वैवाहिक वर्षगांठ - ओमप्रकाश श्रीवास्तव
Feb 17, 2025, 23:16 IST

परिणय बंधन शुभ दिवस,वर्ष गाँठ है आज।
हर्षित सारा वंश है,हर्षित काव्य समाज।।
कविवर मित्र सुधीर ने,पाया अंजू साथ।
देव सभी हर्षित हुए,देख युगल का साज।।
ब्रह्मा विष्णु महेश की,रहती कृपा अपार।
सुख दुख कितना भी मिले,बनता इच्छित काज।।
देवी रूपी पुत्रियाँ, मातु पिता गलहार।
ज्ञान बुद्धि से कर रहीं,मातु पिता उर राज।।
पुस्तक लिख यमराज पर,पाई अतिशय ख्याति।
वाचस्पति का मान पा,बने आज सरताज।।
अंजू पत्नी रूप में, देतीं हर पल साथ।
मुश्किल झेली धैर्य से,मधुरिम रखा मिजाज।।
जोड़ी यह आदर्श है,देती जग को ज्ञान।
रिश्ते होते बहु प्रबल,रखना इनकी लाज।।
अर्पित करता ओम कवि,शब्द पुष्प उपहार।
कविवर मित्र सुधीर जी,बनिए काव्य मिराज।।
- ओमप्रकाश श्रीवास्तव, शिक्षक,साहित्यकार,
जनपद - कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश