कौन जिम्मेदार - अनिरुद्ध कुमार

 
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भावना मन को कुरेदे, हाय कैसा प्यार।
जिंदगी बेजान लगती, मतलबी आचार।।
जा रही किस ओर दुनिया, हर तरफ ललकार।
कौन किसका है मसीहा, चल रहा व्यापार।।

फूल में रंगत कहाँ अब, देखतें लाचार।
अब हवायें चोट देतीं, रोज हाहाकार।।
भूख करता है चिरौरी, मांगता आहार।
स्वार्थी दानव लगे सब, लोभ से बीमार।।

सोंचने वाला कहाँ अब, नेत नीयत खार।
आदमी को छल रहे हैं, जीत कारोबार।।
आपसी मतभेद हाबी, देख क्या संसार।
जख्म से तड़पे कलेजा, क्या करें इजहार।।

कौन सोंचे जिंदगी की, रोज भ्रष्टाचार।
फायदे के कायदे पर, हाय तौबा मार।।
बंद दरवाजे कराहें, आँसुओं की धार।
है यही इंसानियत, दिल बना अंगार।।

बाहुबल में जोर जितना, जीत का आधार।
मान यह अमनो-चमन है, बोलना बेकार।।
दे रहे सबको भरोसा, आज ठेकेदार।
राह अपनी खो गई है, कौन जिम्मेदार।।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह,, धनबाद, झारखंड।
 

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