होली अग्नि से = मुकेश तिवारी
Sun, 28 Mar 2021

होली की प्रचण्ड अग्नि से,
अब महामारी का संहार हो।
वही टेशू के फूल वही रगों,
का बसंत, वैसी ही बहार हो।।
मिटे दूरियाँ हटे मास्क जल्द,
"भविष्य" बेफिक्र हो हमारा।
महोत्सव 'मौसम" आयें रोज,
वैसे ही खुले हमारे द्वार हो।।
तफरियाँ होँ , ठहरे न सफर,
करे न बिमारी कोरोना असर ।
खुल जाये बैखोफ खिडकियाँ,
हलचल भरा फिर बाजार हो।।
= मुकेश तिवारी-वशिष्ठ