होली गीत = डा० नीलिमा मिश्रा

बरसाने की राधा रानी ,
खेलत रंग अबीर ।
वासंती फूलों के गहने ,
पहने चूनर चीर ।।
भरे अबीर गुलाल अंजुरिया ,
नीला पीला लाल ।
हँसी ठिठोली करती सखिंयाँ ,
जमुना जी के तीर ।।
बरसाने की राधा रानी
खेलत रंग अबीर ——
निकली गोकुल से कान्हा की ,
टोली लिए गुलाल ।
बाजत झाँझ मृदंग नाल ढप ,
नाचत दे-दे ताल ।।
कालिंदीश्वर खेलत होरी ,
मची बिरज में धूम ।
श्याम रंग मे ललित किशोरी
को रंग गए अहीर ।।
बरसाने की राधा रानी
खेलत रंग अबीर ——
तट तमाल जमुना का सुंदर
खेल रहा है फाग ।
धरती से अंबर तक फागुन
के गीतों का राग ।।
रति अनंग का प्रणय पर्व है
वासंती अभिसार ।
अंग-अंग पुलकित होकर के
गाने लगे कबीर ।
बरसाने की राधा रानी
खेलत रंग अबीर ——
कुंज-गली , गोवर्धन पर्वत
निधिवन सब हर्षाय ,
मधुर अधर पे रखे मुरलिया
कान्हा खूब बजाय ।
गोपी अपनी सुधि-बुधि भूलीं
मोहिनी मूरत देख ,
मधुर राधिका मधुर कन्हैया
लखि मन होत अधीर ।
बरसाने की राधा रानी
खेलत रंग अबीर ——-
= डा० नीलिमा मिश्रा , प्रयागराज