ग़ज़ल - ऋतु गुलाटी
Updated: Jan 25, 2023, 23:25 IST
कुछ भी कहना असान है शायद,
दिख रहा अब गुमान है शायद।
भर रहा था खुशी जहाँ मे सब,
लग रहा नौजवान है शायद।
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वो छुपाता अकेले में गम को,
जिंदगी अब ढलान है शायद।
कह रहा दिल जली सभी बातें।
उसके दिल मे जबान है शायद।
दूर हमसे अजी नही होना।
मचलें दिल के अरमान है शायद।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, चंडीगढ़