अपराधी केवल अपराधी होता - हरी राम 

 

अपराधी के महिमा मंडन की,
   लगी देश की सत्ता में होड़ ।
अपराध किया हो चाहे जितना,
    पर नफा देखकर दो छोड़।
पर नफा देखकर दो छोड़,
    मोड़ दो बातों को ऐसा ।
वह अपराधी लगे देश को,
     सबसे बड़ा धर्मात्मा जैसा।
क्या सोचा कभी है सत्ता वालों,
   पीड़ित के परिजन बनकर।
जो न्याय की आस में भटक रहे,
   ठोकर खाते फिर रहे दर दर।।

अपराधी के दाग लगे दामन को,
    क्या माला पहनाकर धो दोगे।
मंचों पर आसीन कराकर उसको,
    उसकी कब तक जय बोलोगे।
उसकी कब तक जय बोलोगे,
    घोलोगे देश कि फिजा में जहर।
वोट के खातिर कब तक चुनोगे,
    अपराध और अपराधी डगर।
मेरा है तो अच्छा है अपराधी,
   तेरा है तो बुरी अपराध डगर।
अपराधी केवल अपराधी होता,
   तेरा मेरा कह न बदलो नजर।।
 - हरी राम यादव, अयोध्या, उत्तर प्रदेश 
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