आरजू - सुनील गुप्ता
मुझे मिल जाए साहिल मेरा
यही एक आरजू मेरी !
रहा तलाशता जिसे उम्रभर.......,
वो बन आए मेरी धुरी !!1!!
जिंदगी का ये सागर
रहे बहते अज़स्त्र निरंतर !
डूब इसमें जाऊँ गहरा.......,
और ढूंढ लाऊँ अप्रतिम गौहर !!2!!
है जमाना हमसे ही
और हम जमाने से नहीं !
क्यों करें इसकी परवाह.....,
चलें मस्ती में बहते यहीं !!3!!
उसूलों पे ना चला करती
और जीए जाए जिंदगी !
करते रहें बस अपने कर्म......,
और ना करें ज्यादा दखलंदाजी!!4!!
है क्या अच्छा और बुरा
छोड़ दें सभी कुछ हालातों पे !
वक़्त सीखा देगा सभी......,
जरा ठहरें , धरें धीरज यहांपे !!5!!
है यही किस्मत अपनी
चलें इसी में करते संतोष !
क्या रखा है जिद में......,
चलें बनाते स्वयं को आशुतोष !!6!!
सफ़र कट जाएगा ये
मिल ही जाएगी मंज़िल !
है यही बस आरजू एक......,
मुझे मेरा मिल जाए साहिल !!7!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान