मित्र बनें और बनाएं - सुनील गुप्ता

 

 ( 1 )" मित्र ", मित्र 
             सखा दोस्त सभी,
             होते हैं हमारे परम हितैषी  !
             आओ, बनाएं इन्हें अपना मित्र...,
             और चलें बाँटते आनंद खुशी  !!
( 2 )" बनें ", बनें 
           सदैव अच्छे मित्र,
           करें न छल कपट मित्र से  !
           आओ, बनाएं श्रीकृष्ण सरिखा मित्र.,
           और चलें गुजारते जीवन अच्छे से !!
( 3 )" और ", और 
       चाह न रखें,
       कभी भी मित्र से यहाँ पे  !
       चलें निभाएं मित्रता निःस्वार्थ भाव सँग..,
       और सदाशयता की सुंदर मिसाल बनें!!
( 4 )" बनाएं ", बनाएं 
          एक मित्र भले,
          पर, निभाएं चलें जिंदगी भर उसे  !
          जिस मित्र से मिल जाएं दिल विचार..,
          सदैव ऐसे ही मित्र का चुनाव करें !!
( 5 )" मित्र ", मित्र 
        बनें और बनाएं,
        चलें जीवन को खुशहाल बनाएं  !
        और चलें जीवंत जीवन जीते यहाँ पे..,
        संवारते चलें जीवन हरेक पल रचाएं!!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान