भारत महान (भाग -1) - जसवीर सिंह हलधर  

 

जो विश्व गुरु कहलाता था ,
ख़ुद वैभव पर इठलाता था ।
आलस्य कोप ने घेर लिया ,
सारे वैभव को ढेर किया ।।

फिर गौतम आकर बुद्ध हुआ ,
थोड़ा मन इसका शुद्ध हुआ ।
तब सत्य अहिंसा नारों में ,
लग गयी जंग तलवारों में ।।

मंगोल हूण अफगानों ने ,
मुगलों ने और पठानों ने ।
सदियों कमजोर किया इस को ,
जी भर के लूट लिया इस को ।।

दासत्व भार को ढो -ढो कर ,
सदियों खायीं इसने ठोकर ।
विष बीज गये गौरे बोकर ,
आज़ाद हुआ खंडित होकर ।।

नेताजी को वो भूल गये ,
नेहरू कुप्पे से फूल गये ।
बापू भी स्वर्ग सिधार गये ,
ख़ुद के कर्मों से हार गये ।।

राजाओं के रुख मोड़ मोड़,
छोटे राज्यों को जोड़ जोड़ ।
ये लोह पुरुष ने काम किया ,
सुगठित स्वरूप अंजाम दिया ।।

बाबा की मेहनत संविधान ,
यह ग्रंथ आज गीता समान ।
लेकिन कश्मीरी अकड़ गये ,
जिन्ना झांसों में जकड़ गये ।।

कबायली हमला बोल दिया ,
केसर घाटी विष घोल दिया ।
तब राज हरि सिंह दिखा विकल ,
पकड़ा भारत माँ का आँचल ।।

भारत की सेना दिया दखल ,
पाकिस्तानी प्रयास विफल ।
नेहरू अब्दुल्ला की जोड़ी ,
फिर खेल गयी उल्टी कोड़ी ।।

तब दफा तीन सत्तर जोड़ी ,
किस्मत कश्यप कुल की फोड़ी ।
यह सारे धक्के खा खा कर ,
भारत अब आया और निखर ।।

भारत प्रजा का तंत्र बना ,
माओ से नेहरू बैर ठना ।
नेहरू यह समझ नहीं पाये ,
मेनन ने ऐसे बहकाये ।।

झाओ ने हमला बोल दिया ,
तोपों का मुँह यूँ खोल दिया ।
नेहरू की नहीं तैयारी थी ,
हथियारों की लाचारी थी ।।

सीमित साधन हथियारों से ,
हम खेल गये अंगारों से ।
सेना भारत की खूब लड़ी ,
वीरों की गाथा भरी पड़ी ।।

यह पीड़ादायक झटका था ,
नेहरू मन विचलित भटका था ।
नेहरू यह झेल नहीं पाये ,
हुए उदासीन से मुरझाये ।।

ऐसा यह वज्र प्रपात हुआ ,
नेहरू को हृदय आघात हुआ ।
अक्सआई पहले हार गये ,
नेहरू जी स्वर्ग सिधार गये ।।

तब शास्त्री जी ने ली कमान ,
अपनी रक्षा का किया ध्यान ।
सेना को दे साजो सामान ,
आया नारा हो जय जवान ।
कर हरित क्रांति का प्रावधान ,
दूजा नारा था जय किसान ।।

पैंसठ में पाक नहीं माना ,
उसने भी चाहा धमकाना ।
शास्त्री ने उसको जता दिया ,
लाहौर तिरंगा लगा दिया ।।

आखिर में युद्ध विराम हुआ ,
भारत का फिर से नाम हुआ ।
षड़तंत्र हुआ लेकिन भारी ,
शास्त्री को खाय गयी यारी ।।

दोबारा सम्मुख आऊँगा ,
अगला अध्याय सुनाऊँगा ।
हलधर" कहलाया जाता हूँ ,
भारत की कथा सुनाता हूँ ।।
 - जसवीर सिंह हलधर, देहरादून