भुलईलू ये मइया (भोजपुरी) - श्याम कुंवर भारती

 

काहे तू भुलइलु ये मइया,
केवन बनवा तू जाइके।
खबरिया ना लिहलू भगवती 
सपनवो में तू आइके।
काहे तू भुलइलु ये मइया।

रोज रोज बलका माई निहारे तोर डहरिया हो,
केवन कसूर काली माई ,फेरलू नजरिया हो।
घहरत आवा ये मइया, 
शेरवा तू दऊराइके।
काहे तू भुलइलू ये मइया।

पीहू पीहू बोले जइसे बनवा में पपिहरा हो,
माई माई बुलावे तोहके माई तोर दुलरा हो।
एको बार तकलू ना मईया,
मुंहवा घुमाईके।
काहे तू भुलइलु ये मइया।

धूप दीप बतिया से करी देवी तोर पूजनवा हो,
भारती के लिखल पचरा माई गाई तोर भजनवा हो।
चरनिया में पटकी ये मइया सिरवा झुकाइके।
काहे भुलइलू ये मइया ,
केवन बनवा तू जाईके।
- श्याम कुंवर भारती, बोकारो ,झारखंड  मो.9955509286