जुझारू जीवन - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 

जीवन के झंझावातों से, जूझ रहा इंसान है,
जो न समझता गूढ़ तत्व यह, समझो वह अनजान है।
नित्य चुनौती सम्मुख आती, उसे हल करें युक्ति लगा,
बन समर्थ जो विजयी होता, जग करता गुणगान है।
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नई चुनौती आती प्रतिदिन, जीवन भर इंसान के,
बाधाएँ भी प्रस्तुत होतीं, पग-पग पर इंसान के।
कर्मवीर नित लक्ष्य ध्यान रख, इन्हें लाँघ बढ़ते जाते,
सतत कर्म से भाग्य जगें तब जग  में हर इंसान के।
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नई-नई राहों को खोजें, चाह प्रगति की मन रखते,
भले विघ्न या  संकट आयें, नहीं जुझारू जन डरते।
अनजाने मग पर पग धर कर, नई ख्याति ये पाते हैं,
सकल विश्व में ऐसे जन के, करतब के डंके बजते।
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एक बात मन में सब रखिये, कोई संकट नहीं बड़ा।
बिगड़ा काम सँवर सकता है, मानव जिद पर अगर अड़ा।
बड़े-बड़े अन्वेषण होते, यही भाव जब मन में हों,
असफलता से बिना डरे तब, चोटी पर हो सके खड़ा।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश