संविधान - सुनील गुप्ता
(1)" सं ", संबल देकर
ड़टे रहने की
जो देता है प्रेरणा हरदम !
ऐसा है हमारा प्रिय संविधान...,
जिसे चाहता है प्रत्येक भारतीय जन मन !!
(2)" वि ", विश्वास है
इस दस्तावेज पर
और है हमको इसपे नाज !
ये रहा सदा से बना अहम्....,
और हमारी शक्ति की बना रीढ़ आज !!
(3)" धा ", धारण करते
हम इसको चलते
ये है हमारा पुनीत राष्ट्रीय धर्म !
इसके बतलाए मार्ग पे चलकर...,
हम करते चलें सभी अपने कर्म !!
(4)" न ", नमन करते
करते हैं वंदन
भीमराव अम्बेडकरजी का हम !
जिनकी अथक मेहनत से हमें मिला.....,
अपना प्रिय भारतीय संविधान अनुपम !!
(5)" संविधान ", संविधान हमारा
विश्व जगत में
है अनमोल अद्भुत अप्रतिम !
इसकी छत्र छाया में रहकर......,
बढ़ते गए भारत के सदैव कदम !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान