दोहे - मधु शुकला 

 

एक जरा सी भूल से, भोगे दुख परिवार।
द्रुपद सुता का हास्य यह, देता हमें विचार।।

एक जरा सी भूल सिय, को की पति से दूर।
लक्ष्मण रेखा वंचना, आज तलक मशहूर।।

दुर्घटना कारण बनी, एक जरा सी भूल। 
लापरवाही जिंदगी, हेतु हुई प्रतिकूल।। 

एक जरा सी भूल मत, करो भूलकर आप।
अपने मिल सकते नहीं, कर के पश्चाताप।।
 — मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश