मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक

 

सिमट गई है मित्रता अनुबंध सिमट गए,
सिमट गए रिश्ते नाते संबंध सिमट गए।
व्हाट्सअप पर नमस्ते वंदन अभिनंद हुए,
श्री राम, हरे कृष्ण! औपचारिक शब्द हुए।
कभी तो आओ घर पर पहले की तरह मिलें,
कुछ अपने मन की कहें कुछ उनकी सुन लें।

जागृत करता आत्मबोध, शिव तत्व का ज्ञान,
शिव सत्य, शिव सुंदर, आदि अंत शिव  जान।
ओंकार शिव शम्भू का त्रिगुण दिव्य  स्वरुप,
ॐ नमः शिवाय मंत्र से होते शिव  अनुकूल।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड