मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक
Oct 1, 2023, 23:06 IST
बन कुम्हार कच्ची मिट्टी को देता
नव आकार,
कभी इधर से कभी उधर से देकर
मीठी थाप।
सौ सौ रूप गढ़ा करता है ऐसा
सिरजन हार,
गुरुवर के चरणों में मेरा बारंबार
प्रणाम।
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माता पिता और गुरु ने
किया स्नेह अनंत,
नहीं उऋण हम हो सकते,
जीवन मिले अनंत
जन्म दिया पालन किया
दिया ज्ञान अनंत,
इनको कभी न भूलना
हैं उपकार अनंत।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड