मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक

 

हो जाए जीवन ही वसंत,
मुकुलित कलियां खिलते सुमन,
गुन गुन भंवरे भर दें उमंग,
तितली के चित्र विचित्र पंख,
भर दे जीवन में नवल रंग,
हो जाए जीवन ही वसंत।
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भक्ति का सीधा सत्य मार्ग प्रभु! तेरे दर को जाता है,
भटक कहीं जो और गया, ठोकर जीवन भर  खाता है,
नेह लगाता जो तुमसे, हे प्रभु! सब कुछ पा जाता है,
जिसको मोह इस दुनिया से, खाली हाथ रह जाता है।
-  डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड