रिमझिम-रिमझिम बारिश आई - डॉ. सत्यवान सौरभ

 

रिमझिम-रिमझिम बारिश आई।
गर्मी सारी दूर भगाई।।

बारिश ले कर आये बादल।
भीग गया धरती का आँचल।।

चली हवाएं करती सन-सन।
झूम उठे हैं सबके तन-मन।। 

बादल प्यारे गीत सुनाते। 
बच्चे मिलकर धूम मचाते।।

जीव जन्तु और खेत हर्षाए।
पंछियों ने पँख फैलाए।।

बनते घर में मीठे पूड़े।
चाय के संग बने पकोड़े।। 

छाता लेकर निकले बच्चे। 
शोर मचाते लगते अच्छे।। 

चारों ओर अब खुशियाँ छाई।
रिमझिम-रिमझिम बारिश आई।। 
-डॉ. सत्यवान सौरभ, उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा) -127045
(बाल काव्य संग्रह प्रज्ञान से साभार।)