अहसास - ज्योति
Mar 4, 2024, 22:09 IST
नदी सी वो बहती रही है,
ग़ज़ल गुनगुनाती रही है।
ये कश्ती मुहोब्बत की मेरी,
उन्हीं संग सजती रही है।
कसक सी जागती है दिल में,
वो तस्वीर भाती रही है ।
उन्हें खोजती है ये आंखें,
दरस की जो प्यासी रही है।
सदा साथ रखना खुदा बस,
यही "ज्योति"अरजी रही है।
– ज्योति श्रीवास्तव, नोएडा , उत्तर प्रदेश