गीतिका - मधु शुक्ला
Jan 17, 2024, 22:26 IST
बह गईं हैं जो व्यथाएं आँसुओं की धार में,
दे गईं संवेदना वे व्यक्ति के व्यवहार में।
वेदना पढ़ना सिखाया आपबीती ने सदा,
दर्द को राहत मिली जब मन लगा उपकार में।
है कठिन जीवन बहुत ही जब समय पर हो टिका ,
रोक लो जो भी मिलें पल हास्य के संसार में।
टीसतीं बातें वही जो व्यक्त कर पाया न मन,
कल भुलाकर भीग ले मन प्रेम की बौछार में।
जब न हो हमराह कोई कष्ट पाता है हृदय,
है सफल जीवन वही जो मुस्कराया प्यार में।
--- मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश