गीतिका  - मधु शुक्ला

 

उष्ण हो जब वायु राही कष्ट पाते हैं,
गर्मियों में रवि भयंकर ताप लाते हैं। 

ताप के संत्रास को जब सह न पाता तन,
पेड़ के नीचे पथिक कुछ पल बिताते हैं।

वृक्ष धरती और मानव के सखा उत्तम,
ये सदा वातावरण शीतल बनाते हैं।

प्राप्त हो सबको हवा पानी सतत निर्मल,
इस लिए ही विज्ञ जन पौधे लगाते हैं।

आज शिक्षित हैं सभी फिर भी धरा तपती,
क्यों  विटप  उपयोगिता हम  भूल जाते हैं।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश