ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर 

 

अनौखे रास्ते खोजें बड़े नेता कमाई के,
हजारों पात्रता फर्जी कटे पट्टे जुताई के ।

अभी जो आपदा आयी थी पिछले दिन पहाड़ों में ,
उसी का पारितोषिक मानिए कंगन कलाई के ।

निशानी आपदा की और भी मिल जायगी यारो ,
रखा है माल अब भी पास नेता के जमाई के ।

कहानी बाढ़ सूखे की उड़ाए माल नेता जी ,
करोड़ी कार में देखो जरा नखरे लुगाई के ।

सुनोगे कुम्भ के किस्से दबेगी दांत से उंगली ,
गया था माल यू पी तक पुराने खास भाई के ।

सभी नेता कमाए माल पूरा डेम टेहरी से ,
उसी का पारितोषिक मानिए कंगन कलाई के ।

अभी ज्यादा लिखूंगा तो बुरा सा मुँह बनाएंगे ,
कहें "हलधर"लगाए दाग हम पर बेवफाई के ।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून