गजल - दुर्गा किरण तिवारी

 

पग्लेछु चाँदनी रातलाई हेरेर,
सुनौलो प्रभाती फाँटलाई हेरेर।

हमेसा तिम्रै साथको खाँचो छ,
बुझाउँछु मन त्यो गाथलाई हेरेर।

साँचेछु प्रीति तिमीसैं लौ आज,
कसिलो तिम्रो त्यो आँटलाई हेरेर।

लठ्ठै पो भएछु नसालु आँखैमा,
फँसेछु  मिठो त्यो मातलाई हेरेर।

भन्दछन् सबैले प्रेमनै ठूलो हो,
समर्पण भएँ त्यो साथलाई हेरेर।
हिंदी - 
चांदनी रात देखकर पिघल गया मैं.
सुनहरी प्रभाती फ़ॉन्ट को देखते हुए।

आप सभी के साथ की हमेशा जरूरत है.
दिल की बात समझाता हूँ वो कहानी देखकर।

मैंने आज तुम्हारे बारे में सोचा प्रीती,
अपने हौसले को कस कर देख रहा हूँ।

मदहोश आँखों में डंडा बन गया हूँ,
उस मीठे ड्रम को देखकर फँस गया हूँ।

सब कहते हैं प्यार सबसे बड़ा है,
मैं उस कंपनी के लिए समर्पित था।
- दुर्गा किरण तिवारी, पोखरा,काठमांडू , नेपाल