ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर
Aug 8, 2023, 21:32 IST
दूर तक बस्ती हमारी जा रही है ।
चाँद पर कस्ती उतारी जा रही है ।
अब सपेरों का नहीं ये देश भाई ,
कौम की हस्ती निखारी जा रही है ।
जो चिड़े हैं कामयाबी से हमारी ,
सोच वो सस्ती पुकारी जा रही है ।
रास आए जब उन्हें करतब हमारे ,
यान की गस्ती नकारी जा रही है ।
चीन भी इस कारनामे से खफ़ा है ,
गात में जस्ती कटारी जा रही है ।
देखकर आँसूं खुसी के आ रहे है ,
मुल्क की खस्ती सुधारी जा रही है ।
पाक तो नापाक पूरे विश्व में है ,
चीन से दस्ती उधारी जा रही है ।
रात "हलधर" पी गए दो पेग ज्यादा ,
जश्न में मस्ती सँवारी जा रही है ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून