गजल - मधु शुक्ला

 

सैनिकों की खूबियों का मैं दिवाना हो गया,
भावना बलिदान से अति दोस्ताना हो गया।

गुण बढ़ें अवगुण घटें संगति अगर अच्छी मिले,
दिल हमारा इस कहावत का ठिकाना हो गया।

आचरण में जो ढले  तालीम  सार्थक  है  वही,
जब गही यह सीख हर रिश्ता सुहाना हो गया।

छवि जमाने की हमारी सोच से पोषण गही,
गलतियों का यार अपनी वह निशाना हो गया।

मुस्कराई जिंदगी जब बन गया मन आइना,
'मधु' हमारा हृद मधुरता का खजाना हो गया।
 — मधु शुक्ला,सतना, मध्यप्रदेश