ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 

अब मुहब्बत देख ली,

है नदामत देख ली।

दर्द दिखता अब कहाँ,

अब हकीकत देख ली।

हद तुम्हारी देख रहे,

यार फितरत देख ली।

बंद हैं परदे सभी,

है अजीयत देख ली।

आँख रोती सब तरफ,

आज नफरत देख ली।

प्यार जिसको कह रहे,

आज कुर्बत देख ली।

लोग मरते दर्द से,

है सियासत देख ली।

केस फाईलो मे है,

ये अदालत देख ली।

छेड़ते बेटियों को

आज हरकत देख ली।

गम मे डूबे वो पड़े

सब अजीयत देख ली।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़