गजल - रीता गुलाटी

 

आँख से अब नमी चली जाए,
प्यार से हर खुशी भरी जाए।

यार की आँख आज कुछ कहती,
सोचती गम की अब नमी जाए।

खुल न जाये ये राज अब तेरा,
कर यकीं भूल मुफलिसी जाए।

नाज नखरे मेरे नही सहता,
भूल अपनी न बेखुदी जाए।

ढह न जाए कही उम्मीदे अब,
हाय इस जिंदगी को जी जाए।

आँख तेरी लगे है मधुशाला,
तू कहे तो जरा सी पी जाए।

ख्याब मे देखता परी हरदम,
भूलकर भी नही परी जाए।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़