ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Aug 19, 2024, 23:24 IST
दिखाते प्यार झूठा तुम हकीकत मे कमी क्यो है,
बसाने को चमन अपना लगे अब बेरूखी क्यो है?
तुम्हारे प्यार मे डूबे,रहेगे अब सदा तेरे,
सुहाना जब सफर अपना लबो पर बेबसी क्यो है?
मिलोगे जब हमे तुम तो नही अब भूल पाओगे,
निभानी जो नही हमसे भला अब दोस्ती क्यो है?
तेरी चाहत मे तड़पे हम,करे इजहार भी कैसे.?
नही दिखती खुशी कोई,नजर मे अब नमी क्यो है.?
मिलोगे जब हमे तुम तो नही अब भूल पाओगे.
निभानी जो नही हमसे भला अब दोस्ती क्यो है?
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़