ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 

सबसे  प्यारी मेरी माँ है,
जान लुटाती मेरी माँ है।

इक फुलवारी सी लगती है,
सब पर भारी मेरी माँ है।

कठपुतली सी दिनभर नाचे,
हरदम चलती मेरी माँ  है।

आँख मूँदती दर्शन मिलते,
दुर्गा माँ भी मेरी माँ है।

चरणों मे मैं पाती जन्नत,
दुनिया सारी मेरी माँ है।

पास बैठ कर वो रोई है,
लगे खुदाई मेरी माँ है।

जीवन सूना बिन माता के,
बनी रोशनी मेरी माँ है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़