रिश्वतखोरी के बाजार में - हरी राम यादव

 

रिश्वतखोरी के बाजार में,
     हरी सब कुछ रहा बिकाय।
जिसकी जेब में पहुंच पैसा,
     वह सब कुछ खरीद ले जाय ।
वह सब कुछ खरीद ले जाय,
     गाय बना हुआ निर्धन बेचारा।
अपना काम कराने खातिर,
     फिर रहा दर-दर मारा मारा।
सुनें न कोई बात गरीब की,
     क्योंकि पास न उसके दाम ।
क्षण क्षण बिक रहा है देश में,
     जिसके पास लोगों का है काम ।।
 - हरी राम यादव , अयोध्या , उत्तर प्रदेश