हूँ अनुगृहित आपका - सुनील गुप्ता
( 1 ) हूँ अनुगृहित आपका
कि, आप पधारे सभी मेरे घर पे !
करके श्रीसुनीलानंदजी का मान,
"" अजस्त्र बहते मन मोती ""......,
पुस्तक का, किया विमोचन यहाँ पे !!
( 2 ) हूँ अनुगृहित आपका
कि, आप सभी लाए सौगात उपहार !
और करके ' हिंदी दिवस ', का सम्मान,
लिया सभी ने इसमें हिस्सा......,
यहाँ पे, खूब बढ़ चढ़कर !!
( 3 ) हूँ अनुगृहित आपका
कि, सभी ने सुनाईं सुंदर-2 रचनाएं !
और अपनी मन भावनाओं को,
साझा करते चले सभी अपनी .......,
मातृभाषा के प्रति, कृतज्ञता जतलाए !!
( 4 ) हूँ अनुगृहित आपका
कि, मेरे बुलावे पे आप चले आए !
और प्रेम-स्नेह बरसाए,
लुटाते मुझपे चले सभी ......,
आनंद में डूबे, सरसाए हर्षाए !!
( 5 ) हूँ अनुगृहित आपका
कि, दिया सभी ने अमूल्य समय यहाँ पे !
और करके उपकृत मुझे,
मेरे निज आमंत्रण-निमंत्रण को .......,
स्वीकारा, हूँ आप सभी का आभारी हृदय से !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान