मैंने देखा - दिव्य-प्रियंवदा काफ्ले

 

इश्क टूट जाता है जब आईना देख लिया,
प्यार के रिश्ते को महसूस किया दिल चीर के देखा।
जा रहा हूँ बहुत दूर मुझे एक पल देकर,
आग जल रही है मैंने प्यार से जलते देखा।
मैं कई कल्पनाओं का इंतजार करूंगा,
शायद प्रलय हो मैंने अपनी जिंदगी बदलने की कोशिश की।
प्यार की आग जीवन को जला रही है,
बुझेगा नही जलेगा मैंने आग के साथ देखा।
पाने से संतुष्ट होने की कोई बात नहीं है तत्व,
कुछ और ही है दिव्य, प्यास लगा के मैंने देखा ।
- डा.दिव्य-प्रियंवदा काफ्ले आचार्य, काठमांडू, नेपाल