जय श्री राम - मीनू कौशिक

 

बिता  चौदह  बरस वन में , अवध श्री राम आए हैं,
मिटाकर वंश रावण का , जगत  सुखधाम आए हैं ।
दिवाली  है बड़ा  संदेश,  जग के  हर  दशानन  को ,
कि सच के सामने छल,और कपट न काम आए हैं ।
पिता  की  मानकर आज्ञा , वो  सिंहासन तज देता है ,
पराई   पीर  पीकर  भी ,  वो  पीड़ा  में  मुस्काता  है ।
यूं ही , एक ही दिवस में ही नहीं, कोई राम बन जाता ,
हवन खुशियों का करता है ,वो वन वन ठोकर खाता है ।
त्याग  विनय की  मूरत राम, जय श्री राम जय श्री राम,
अंत समय के साथी राम , जय  श्री राम जय श्री राम ।
जग में सबसे प्यारा नाम ,  जय श्री राम जय श्री राम , 
जय श्री राम जय श्री राम , जय श्री राम जय श्री राम ।
 ✍️ मीनू कौशिक "तेजस्विनी", दिल्ली