सावन में झूले - झरना माथुर

 

सावन में झूले पड़ गये,
परदेसी आ जा आ।
तेरे संग मैं झूला झूलू,
साजन अब तो आ जा आ।

गोरे- गोरे हाथों में ये,
मेहंदी रचाई है।
मांग सिन्दूरी बालम
मैने खूब सज़ाई है।
प्रीत की चूनर सजना,
मोपे  लहरा जा आ आ।

तेरे संग मैं झूला झूलू,
साजन अब तो आ जा आ।

पर्वत ऊपर काली,
घटा यें घिर के आयी।
जियरा डोले मेरा,
मन में मस्ती सी छायी।
बारिश में भीगू संग में,
तू भी आ जा आ।

तेरे संग मैं झूला झूलू,
साजन अब तो आ जा आ।

सावन में झूले पड़ गये,
परदेसी आ जा आ।
तेरे संग मैं झूला झूलू,
साजन अब तो आ जा आ।
- झरना माथुर , देहरादून , उत्तराखंड