बस कुर्सी की जय बोल - हरी राम

 

सत्ता सुख के सामने,
     लाज शर्म का न मोल।
गया राम तुम बन प्यारे,
     बस कुर्सी की जय बोल।
बस कुर्सी की जय बोल,
     ढोल पीट विवशता का।
ले प्यारे तुम खूब मज़ा,
     संवैधानिक व्यवस्था का
जनमत का माखौल उडा,
     उस से कुछ सस्ता क्या? 
 जनता जनमत दे देगी,
    उसके सामने रास्ता क्या ?
- हरी राम यादव, अयोध्या, उत्तर प्रदेश 
ph no – 7087815074