कलरव - ममता जोशी

 

धरती सुहानी लग रही,
            आने लगा मधुमास।
चारों तरफ उल्लास है,
          कलरव खगों का खास।
है नींद में मैंने सुना,
        मीठा मधुर सा गान।
 मैं गीत यूं सुनती रही ,
           मन में बड़ा सम्मान।
मुझको सुबह ऐसी लगी, 
               मां शारदे है पास।
चारों तरफ उल्लास है, 
           कलरव खगों का खास।।
खिलने लगे हैं फूल सब, 
              सजने लगी है डाल।
मद मस्त होकर गा रहे,
          मिलकर सभी स्वर ताल।
पुलकित हुआ मन देखकर, 
                 भौंरें सभी की आस।
चारों तरफ उल्लास है,
            कलरव खगों का खास।।
- ममता जोशी "स्नेहा", उत्तरकाशी, उत्तराखंड