कविता - अशोक यादव

 

जय कपीश्वर, महादेव रूद्र अवतार।
दीर्घ काया, बलिष्ठ, बाहुबली उदार।।
विपत्ति मोचक, वनराज, तारणहार।
सखा सेवी, काज समर्पित, संसार।।

व्योम मार्ग ऊर्ध्वायन ग्रसे अंशुमान।
राहु पतन, इंद्र वज्र प्रहार हनुमान।।
पवन देव समीरण त्रिलोक व्यवधान। 
दिव्य बल उपहार सर्वदेव वरदान।।    

वानर दलबल गमन सीता अनुसंधान।
वीरता विस्मृत बजरंगी जामवंत संज्ञान।।
विराट रामदूत, महेंद्र पर्वत चलायमान।
पुच्छल तीव्र अग्नि सर्व लंका शमशान।।

रघुवीर, लक्ष्मण मूर्छित जादुई शक्ति।
अपहृत पाताल लोक अहिरावण युक्ति।।
गमन महावीर राम नाम अजपा भक्ति।
वध कर अधोलोक नरेश, राघव मुक्ति।।

अर्जुन,गरुड़,सुदर्शन चक्र घमंड नाशक।
महाभारत युद्ध रथ विजय पताका रक्षक।।
युगानुयुग वसुंधरा वासी सुहृदय अंकेक्षक।
कलियुगी असत्य, लोभ, पाप, परास्तक।।
- अशोक कुमार यादव  मुंगेली, छत्तीसगढ़