रखा करो नजदीकियाँ यारों - सुनील गुप्ता

 

 ( 1 ) रखा 
      करो नजदीकियाँ,
      मिलते-जुलते, रहा करो  !
      कल किसने देखा है यहाँ पे.....,
      जी भरकर, गुफ़्तगू कर लिया करो !!

( 2 ) करो 
      मुलाक़ात यहाँ,
      बिना स्वार्थ, मतलब के प्यारों  !
      चलें संभालते, इसे बागबाँ की तरह..., 
      आओ अपनी वाटिका, महकालें यारों !!

( 3 ) नजदीकियाँ 
    रहें बढ़ाते,
    मिल आया करें, गाहे-ब-गाहे  !
    कोई आपके द्वारे, आए या न आए.,
    जाकर अवश्य, मिज़ाज-पुर्सी कर आएं !!

( 4 ) यारों 
   आया करो,
   घर-देहरी पर यूँ ही मुस्कुराए  !
   न जाने, कब पता चले तुम्हें कि...,
   वो, चला गया, आँखों में सपने बिसराए !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान