गीत - मधु शुक्ला

 

मनुज के पास दौलत हो तभी मन को लुभाते दिन,
अगर कंगाल हो मानव नहीं नजरें मिलाते दिन।

उजाला हो जहाँ धन का वहीं रिश्ते चमकते हैं,
प्रशंसा के मनुज की जिंदगी में फूल खिलते हैं।
बढ़ा कर हौंसला प्रतिदिन प्रगति का पथ दिखाते दिन....... ।

मनोबल प्राप्त पैसे से जगत में लोग करते हैं,
धनिक संसार का हर श्रेष्ठ साधन, शौक चुनते हैं।
रहे शुचि बुद्धि तो धनवान उर करुणा जगाते दिन......... ।

कभी सम्मान ज्यादा प्रेम से दौलत न पाती है,
न हो उपयोग उत्तम तो अनैतिकता बढ़ाती है।
मिला धन तो करो उपकार पाओ यश बताते दिन......... ।
 — मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश